यूपी: महंगी होगी बिजली, शहरी नहीं ग्रामीण उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा बोझ
उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ेंगी। नियामक आयोग ने पॉवर कारपोरेशन के प्रस्ताव पर जनसुनवाई करते हुए इसके संकेत दे दिए हैं। गुरुवार को लखनऊ में जनसुनवाई हुई। आयोग के अध्यक्ष एसके अग्रवाल...
यूपी: महंगी होगी बिजली, शहरी नहीं ग्रामीण उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा बोझ
उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ेंगी। नियामक आयोग ने पॉवर कारपोरेशन के प्रस्ताव पर जनसुनवाई करते हुए इसके संकेत दे दिए हैं। गुरुवार को लखनऊ में जनसुनवाई हुई। आयोग के अध्यक्ष एसके अग्रवाल ने सुनवाई के बाद बिजली चोरी रोकने, गांवों में शत प्रतिशत मीटर लगाने, लाइन हानि रोकने और वितरण व्यय घटाने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनियों के अनावश्यक घाटे और गरीबों-ग्रामीणों की बिजली का बोझ अब शहरी उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा।
बिजली विभाग ने कहा दरें बढ़ाना जरूरी-
पॉवर कारपोरेशन की ओर से प्रतिनिधि मध्याचंल के एमडी एपी सिंह ने कहा कि कुल बजट का 80 प्रतिशत बिजली खरीद और ट्रांसमिशन में खर्च किया जाता है। वर्तमान में बिजली 6.97 रुपये प्रति यूनिट खरीद कर दो रुपये तक में दी जा रही है। इस वित्तीय वर्ष में 66 हजार करोड़ चाहिए होंगे। प्रस्तावित दरों पर बिल वसूली और सरकार से मिली सब्सिडी के बाद भी 10 हजार करोड़ रुपये का अंतर रह जाएगा। उन्होंने कहा इसमें छोटे और मध्यम उपभोक्ताओं की दरों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। आयोग को दिए प्रस्ताव में कॉर्पोरेशन ने बिजली दरों में लगभग 22 फीसदी की बढ़ोतरी करने की मांग की है।
कंपनियों पर भड़के आम उपभोक्ता-
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा हवाई अड्डा बनाने वालों को चार रुपये प्रति यूनिट और किसानों को 5-6 रुपये प्रति यूनिट देना कैसे न्याय संगत है? गरीबों-गांवों के 84 लाख उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली के लिए सरकार से मिली 3,760 करोड़ सब्सिडी का आकलन किया जाए तो प्रति उपभोक्ता लगभग373 रुपये आता है। 180 रुपये फिक्स चार्ज और अन्य दरें जोड़ ली जाएं तो यह लगभग 600 रुपये प्रतिमाह पड़ता है। इसलिए अब इसमें और बढ़ोतरी की जरूरत नहीं। इसी तरह अन्य उपभोक्ताओं ने भी बिजली चोरी पर कंपनियों के प्रति नाराजगी जताई। आयोग से गुहार लगाई कि बिजली चोरों और कंपनियों की नाकामी का खामियाजा आम लोगों से न वसूला जाए।
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इस आधार पर तय होगा टैरिफ
इस आधार पर तय होगा टैरिफ-
- 2017-18 में लाइन लॉस का आधार अधिकतम 19 फीसदी होगा, जो अगले वर्ष 15 और उसके बाद 12 फीसदी होगा।
- जितनी बिलिंग हो जाएगी, उसे वसूला हुआ माना जाएगा। बिलिंग की वसूली न हो पाने को घाटा नहीं माना जाएगा।
- ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली का भार शहरों पर नहीं डाला जाएगा। ग्रामीण और शहरी वितरण-राजस्व और घाटा आंकलन अलग होगा।
- गांव के फीडर वार राजस्व नुकसान की भरपाई वहीं से होगी।
दरों को बढ़ाना मजबूरी : आयोग
आयोग ने कहा कि दरों को बढ़ाना जरूरी हो जाता है क्योंकि अप्रत्यक्ष टैक्स भी लगते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि रेलवे हर वर्ष कोयले की माल ढुलाई की दर 12 फीसदी तक बढ़ा देता है। कोल इंडिया कोयले की दरें आठ फीसदी महंगी कर देता है। क्लीन एनर्जी सेस के तौर पर 500 करोड़ का टैक्स लग जाता है। पर्यावरण व अन्य टैक्स भी कारक होते हैं।